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कोमा से बाहर आने के उपाय: कोमा में जाने पर इंसान के शरीर में क्या बदलता है?

कोमा से बाहर आने के उपाय: हाल ही में, इंग्लैंड के टेलफोर्ड में हुए एक घटना ने काफी चर्चा का केंद्र बना रखा। इस मामले में, एक महिला जो डायबिटिक कोमा में थी (टेलफोर्ड मदर इन डायबिटिक कोमा), उसके बेटे जॉश चेपमैन ने अपने खिलौने में लगे एंबुलेंस नंबर को डायल करके मेडिकल स्टाफ को त्वरित बुलाया। इस कार्रवाई से मां की जान बची और बच्चे की भी सुरक्षित आवश्यकता पूरी हुई।

कोमा शब्द का उपयोग हम अक्सर सुनते हैं और इसका मतलब हमें पता होता है। अमेरिका के फिनिक्स में, लगभग 14 सालों से कोमा में रहने वाली एक महिला ने अद्भुत रूप से बच्चे को जन्म दिया। इससे सामाजिक संवाद में कोमा और कोमा में रहने वाले व्यक्ति के शरीर में कौन-कौन से अंग सही तरीके से काम करते हैं, यह एक महत्वपूर्ण विषय है।

कोमा से बाहर आने के उपाय

क्या है कोमा: कोमा से बाहर आने के उपाय

यह स्थिति व्यक्त की लंबी अवस्था को विवरणित करने के लिए किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की उत्तराधिकारिता या चलने की क्षमता से पूर्णरूप से वंचित होता है। इस स्थिति में, व्यक्ति सुप्त अवस्था में होता है, लेकिन उसकी नींद ऐसी होती है जिसे किसी भी प्रकार के उत्तेजन, जैसे कि बिजली के झटके या सुई चुभोने से भी स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।

कोमा में जाने की मुख्य वजह

यह स्थिति मस्तिष्क पर हुई किसी भी प्रकार की चोट का परिणाम हो सकती है। इसके अलावा, दिल के दौरा, मस्तिष्क आघात के बाहर, शराब के साथ नशा करना भी व्यक्ति को कोमा में पहुँचा सकता है। शुगर के मरीज को भी यदि उसका शुगर स्तर एकदम से घट या बढ़ जाए, तो उसे कोमा में जाने का खतरा हो सकता है।

ट्यूमर, दिमाग का संक्रमण, और खतरनाक गैसों के संपर्क में रहना भी किसी को कोमा में पहुँचा सकता है। बताया जा रहा है कि 50 प्रतिशत से अधिक कोमा के मामलों की वजह मस्तिष्क पर हुआ गहरा आघात होता है।

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कोमा में जाने की जाँच कैसे होती थी

कोमा से बाहर आने के उपाय: पहले, चिकित्सा विज्ञान ने अपने प्रारंभिक दिनों में ऐसे पथ पर बढ़ना शुरू किया जब किसी को कोमा में पड़ने पर उसकी अंत्येष्टि तुरंत कर दी जाती थी, क्योंकि उस समय चिकित्सा विज्ञान इतना प्रगतिशील नहीं था। सन् 1846 में, फ्रांस में एकेडमी ऑफ साइंस ने एक प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें चिकित्सकों को ऐसे तरीके सुझाए गए जिनसे मरीज को कोमा में जाने के बाद भी कुछ समय तक बचाया जा सकता था और उसकी जान बचाने का प्रयास किया जा सकता था।

सन् 1920 में, अमेरिकी इंजीनियर विलियम कोवेनहॉवन ने बिजली के झटकों की सिद्धांत को प्रस्तुत किया। उन्होंने सुझाव दिया कि कोमा में गए मरीजों को बिजली का झटका देने से शायद वे कोमा से बाहर आ सकते हैं। यह सुझाव शायद तब तक कारगर नहीं हुआ, लेकिन आजकल इसे कई बीमारियों के इलाज में सफलता के साथ अपनाया जा रहा है। बाद में, वेंटिलेटर, डायलिसिस, और कैथेटर का आविष्कार हुआ, जिससे कोमा में गए व्यक्तियों को लंबे समय तक जिंदा रखा जा सकता है।

37 सालों तक कोमा में कौन रहा था

विभिन्न देशों के अस्पतालों में, कई मरीज वेंटिलेटर और अन्य यंत्रों की सहायता से अपने जीवन में वापसी का इंतजार कर रहे हैं। शिकागो की एलीन एस्पॉस्टिटो ने दुनिया भर में सबसे लंबे समय तक कोमा में रहने का रिकॉर्ड बनाया है। एलीन ने छह साल की आयु में 1941 में हुई एक दुर्घटना के कारण कोमा में चली गई थी।

अस्पताल में भर्ती होते ही एलीन की नींद कभी नहीं खुली और उनकी मौत साल 1978 में हुई, जब वह कोमा में थीं। उन्होंने अपने 37 सालों से अधिक के कोमा रहने के कारण एक अनूठा गिनीज बुक का हिस्सा बना।

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कैसे होती है कोमा की जांच

कोमा से बाहर आने के उपाय: 18वीं सदी से पहले, डॉक्टरों का अजीब तरीका था जिसे वे इस्तेमाल करते थे। वे मरीज के नाम को बुलाते और जोर से पुकारते रहते थे। अगर कई बार नाम लेने के बाद भी मरीज की आंखें नहीं खुलती और कोई बात नहीं होती थी, तो उसे कोमा में माना जाता था। हालांकि, आजकल कोमा की जांच के लिए “ग्लासगो कोमा स्केल” नामक एक उपकरण है।

यह तीन चीजों की जांच करता है – आंखों का खुलना या फड़कना, किसी बात पर प्रतिक्रिया, और आवाज पर कुछ कहना। इन तीन मापदंडों पर एक स्कोर दिया जाता है। स्कोर जितना कम होगा, उतना ही अधिक माना जाएगा कि मस्तिष्क पर आघात हुआ है और कोमा से बाहर आने की संभावना कम है।

कोमा आमतौर पर कुछ हफ्तों से लेकर कई सालों तक रह सकता है. इस स्थिति से बाहर लौटना एक ही बार में नहीं होता; बल्कि मरीज को कई चरणों में धीरे-धीरे सामान्य रूप से वापस लाया जाता है. कोमा को दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। पहला है वेजिटेटिव स्टेट, जिसमें व्यक्ति की आंखें खुली होती हैं, लेकिन उसमें अपने आत्मा का या आसपास का कोई भी होश नहीं होता। दूसरा है मिनिमली कांशस स्टेट – इस स्थिति में मरीज कभी-कभी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया दिखाता है, लेकिन वह न्यूनतम होती है और कभी-कभी बिल्कुल नहीं होती। कोमा अब भी चिकित्सा जगत में एक रहस्य बना हुआ है, और इस पर निरंतर शोध हो रहा है।

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