पारा खतरनाक क्यों होता है?
पारा आवर्त सारणी के सबसे गैर भरोसेमंद तत्वों में से एक है. ये नाजुक है, बेपनाह खूबसूरत है लेकिन जानलेवा भी है. हर कोई होना चाहता है गोरा!
ये समझना आसान है कि पारे को लेकर ऐसी दीवानगी क्यों हैं. ये इकलौती ऐसी धातु है जो कमरे के सामान्य तापक्रम पर तरल अवस्था में मिल जाती है. और यह उन गिनी चुनी चीजों में शुमार है जो सबसे ज्यादा ललचाने वाली धातु सोना के साथ प्रतिक्रिया करता है.
युनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में केमेस्ट्री के प्रोफेसर एंड्रीय सेला सोने की एक कमजोर सी पत्ती को पारे की एक झिलमिलाती हुई बूंद के ऊपर रखा. मेरी आँखों के सामने ही सोना आहिस्ता-आहिस्ता खत्म होने लगा. नष्ट होने से पहले सोने की पत्ती किसी चादर की तरह पारे के उस सुनहरे से धब्बे के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई.
सेला कहते हैं, “अब पारे से उसकी गंदगी साफ कर लीजिए. आप देखेंगे कि शुद्ध सोने के अवशेष रह गए हैं. यह सोने और पारे का अजीब सा रिश्ता है जो रसायनों के जानकारों को हमेशा से आकर्षित करता रहा है.”
यदि ऐसा सोच रहे हैं तो हो जाईये सावधान
सेला बताते हैं, “पारा इन्सानों पर लंबे समय में असर करने वाला जहरीला धातु है. अन्य जीवों पर भी ये जहरीला है. इसलिए पर्यावरण में पारे की मौजूदगी एक गंभीर मुद्दा है. पर्यावरण में हरेक साल आने वाली पारे की आधी मात्रा ज्वालामुखी फटने से और अन्य भूगर्भीय प्रक्रियाओं से आती है.
रोम के लोग पारे का इस्तेमाल खूबसूरती निखारने में किया करते थे. चीनी लोग इसका उपयोग रंग-रोगन के काम में करते थे जबकि मध्यकाल में पारे को मोम के साथ मिलाकर जरूरी कागजात पर मुहर लगाने के काम में इस्तेमाल करते थे. सदियों तक पारे के उपयोग दवाई में भी किया गया. यहाँ तक कि हाल तक पारा ऐंटीसेप्टिक, अवसादरोधक दवाईयों में भी प्रयोग में लाया जाता रहा है.
बुखार होने की सूरत में शरीर का तापमान नापने के लिए भी पारे वाले थर्मामीटर की जरूरत पड़ती रही है. दाँतों की भराई में भी पारा अछूता नहीं रह पाया. पारे की कुछ मात्रा जो दवाओं और दाँतों की भराई के दौरान शरीर में रह जाती है, वह भी कुछ समुदायों में शव की अंत्येष्टि के बाद धुएँ में घुल जाता है.
दुनिया भर में लाखों लोग जो सोने के खनन के काम में लगे हुए हैं वे पारे का इस्तेमाल कर इस शुद्ध धातु का उसके अयस्क से अलग करते हैं और समस्या तब पैदा होती है जब पारे से शुद्ध धातु को अलग करने की कवायद शुरू की जाती है. बचे हुए पारे का निपटारा करना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है. ये पानी में मिलने पर बेहद ही खतरनाक पदार्थ में बदल जाता है जिसे हम मिथाइल मरकरी कहते हैं.
अत्यधिक विषाक्त धातु – पारा (Hg) GOST 17.4.1.02-83 के अनुसार खतरनाक वर्ग I के पदार्थों से संबंधित है और सबसे मजबूत जहर है। यदि कालीनों के ढेर में पारे की एक बूंद छिटकती है, तो विषाक्तता की संभावना बहुत अधिक है, क्योंकि इस धातु के कम गलनांक और जहरीले धुएं श्वसन पथ के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं।
चेहरे पर पैलोर और नीली त्वचा, सांस की तकलीफ, जलन और मुंह में एक धातु का स्वाद, सांस लेते समय तनाव और दर्दनाक संवेदनाएं, खांसी, वृद्धि हुई लार। तीव्र जहर की विशेषता उच्च बुखार, उल्टी, दस्त, धड़कन और अत्यधिक पसीना है। यदि रोगी को समय पर चिकित्सा प्रदान नहीं की जाती है, तो यह सब घातक हो सकता है।
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