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EVM Machine Hearing in Supreme Court: जब बैलट पेपर्स से वोटिंग होती थी तो क्या होता था हम जानते हैं… ईवीएम के खिलाफ बहस पर बोला सुप्रीम कोर्ट

EVM Machine Hearing in Supreme Court:

कदम बदलने के संकेत! भारतीय चुनाव प्रणाली को लेकर विवाद की बड़ी चर्चा के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में वोटिंग प्रक्रिया पर चर्चा की है। इस फैसले के माध्यम से आगामी चुनावों में वोटिंग प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर चिंता जताई है और बताया कि वोटिंग प्रक्रिया के दौरान लोगों को विश्वास की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईवीएम की वोटिंग प्रक्रिया पर संदेह उत्पन्न हो रहा है और इसे सुधारने की जरूरत है।

ईवीएम के प्रति आरोप बढ़ते जा रहे हैं कि वह निष्पक्ष नहीं है और इसमें गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ईवीएम पर नजर रखने की मांग की है और यहां तक कहा है कि अगर आवश्यक हो तो पुनः बैलट पेपर का प्रयोग किया जा सकता है।

वोटिंग प्रक्रिया में परिवर्तन का यह फैसला चुनाव प्रणाली को लेकर बड़ी चर्चा को उत्तेजित करेगा। वोटिंग प्रक्रिया में ईवीएम के स्थान पर बैलट पेपर का प्रयोग करने के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला किस प्रकार का परिणाम देगा, यह विचार विषय है।

इस विवाद पर सरकार, चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों और जनता की राय का महत्वपूर्ण आदान-प्रदान होगा। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा, इससे भारतीय चुनाव प्रणाली में बदलाव आ सकता है और लोगों की विश्वासघात से बचाव हो सकता है।

EVM Machine Hearing in Supreme Court:

ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 16 अप्रैल, 2024 को महत्वपूर्ण टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा, “हम जानते हैं कि जब बैलट पेपर से वोटिंग होती थी तो क्या होता था। आप भूल गए होंगे, पर हमें सब कुछ याद है।

यह टिप्पणी ADR द्वारा पेश वकील प्रशांत भूषण की दलीलों के जवाब में आई, जिन्होंने ईवीएम में खराबी की संभावना पर चिंता जताई थी। उन्होंने जर्मनी का उदाहरण दिया, जहां ईवीएम छोड़कर बैलेट पेपर की ओर वापसी की गई है।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने जर्मनी की आबादी के बारे में पूछा, जिस पर भूषण ने जवाब दिया कि यह 6 करोड़ है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि भारत में मतदाताओं की संख्या कहीं अधिक है, लगभग 50 से 60 करोड़ है, और रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 97 करोड़ के आसपास है।

अदालत ने ईवीएम की सुरक्षा पर चुनाव आयोग के रुख का भी समर्थन किया। चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर कई बार अपना रुख स्पष्ट किया है।

यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

इस मुद्दे पर बहस: EVM Machine Hearing in Supreme Court

ईवीएम के पक्ष और विपक्ष में कई दलीलें दी गई हैं।

ईवीएम के समर्थक उनकी दक्षता, गति और धोखाधड़ी की संभावना कम होने पर जोर देते हैं।

विरोधी ईवीएम में खराबी की संभावना, हेरफेर की संभावना और पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताते हैं।

निष्कर्ष: EVM Machine Hearing in Supreme Court

ईवीएम भारत में चुनावों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला ईवीएम के भविष्य और भारत में चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।

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