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राष्ट्रपति भवन विचित्र तथ्य : वायसराय के आलीशान कमरे में नहीं, गेस्ट हाउस में रहते हैं राष्ट्रपति; जानें- क्यों और कैसे शुरू हुई परंपरा?

क्या आपको पता है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National Capital Delhi) में रायसीना हिल्स (Raisina Hills) स्थित राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) का इतिहास 111 वर्ष पुराना हो चूका है। वर्ष 1911 में ब्रिटिश हुकुमत ने भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी और वर्ष 1912 में मौजूदा राष्ट्रपति भवन का निर्माण शुरू हुआ था। इसके निर्माण की समय सीमा सिर्फ चार वर्ष थी, चौकाने वाली बात ये है कि यह 17 वर्ष बाद 1929 में पूरा हुआ। तब से आज तक राष्ट्रपति भवन में कई इतिहास रचे गए। राष्ट्रपति की हर चीज अनोखी और ऐतिहासिक है। इन सभी के बारे में आइये जानते हैं !

  1. पता है क्या कि ब्रिटिश राज के मशहूर आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) ने H आकार में राष्ट्रपति भवन के निर्माण का खाका तैयार किया था। जिसका कुल क्षेत्रफल पांच एकड़ है। इसमें ढाई किलोमीटर (2.5 KM) का कॉरिडोर और 190 एकड़ का गार्डन एरिया शामिल है। चार मंजिला इस भव्य और आलीशान राष्ट्रपति भवन में कुल 340 कमरे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), संसद भवन, राजपथ और इंडिया गेट सहित यहां कई सरकारी कार्यालय और ऐतिहासिक धरोहरें हैं। राष्ट्रपति के अलावा भी यहां काफी संख्या में सरकारी अधिकारी व कर्मचारी रहते हैं। राष्ट्रपति भवन हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश आर्किटेक्चर का अनोखा नमूना है।

2. हमारे सरकारी आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रपति भवन के निर्माण में 70 करोड़ ईटें और 30 लाख पत्थर लगे हैं। 29 हजार लोग (राज मिस्त्री, मजदूर, बढ़ई, पेंटर आदि) इसके निर्माण में लगाए गए थे।

3. उस समय के ब्रिटिश शासन में इसे वायसराय हाउस (Viceroy’s House) कहा जाता था। वायसराय के लिए ही ब्रिटिश हुकुमत ने इसका निर्माण कराया था। 15 अगस्त 1947 को जब देश स्वतंत्र हुआ, तब इसका नाम राजभवन (Government House) रखा गया। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) के कार्यकाल में इसका नाम राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) रखा गया।

4. क्या आपको पता है कि डॉ राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे, लेकिन आजादी के बाद इस भवन में रहने वाले पहले व्यक्ति सी. राजगोपालाचारी (C. Rajagopalachari) थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद 26 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। वहीं सी. राजगोपालाचारी 21 जून 1948 को पहले भारतीय गवर्नर जनरल (First Indian Governor General) बने और मौजूदा राष्ट्रपति भवन (तब राजभवन) में रहने वाले पहले भारतीय भी। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल डोम के नीचे शपथ ली थी।

5.श्री सी. राजगोपालाचारी, राष्ट्रपति भवन (तब राजभवन) में रहने वाले पहले भारतीय जरूर थे, लेकिन वह वायसराय के लिए बने राजसी कमरे (Viceroy’s Room) में नहीं रहे। इस आलीशान कमरे की भव्यता उनके विनम्र स्वभाव से मेल नहीं खाती थी। उन्हें वायसराय का कमरा व्यक्तिगत प्रयोग के लिए आकार में बहुत बड़ा और शाही लगा। लिहाजा उन्होंने इसकी जगह तब के गेस्ट हाउस के एक छोटे कमरे में ठहरने का फैसला लिया, जिसे अब राष्ट्रपति भवन का परिवार विंग (Family Wing of the Rashtrapati Bhavan) कहा जाता है।

6. श्री सी. राजगोपालाचारी ने राजभवन में जो परंपरा स्थापित की, वो आज के राष्ट्रपति भवन में जारी है। सी. राजगोपालाचारी के बाद प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद सहित अब तक जितने भी राष्ट्रपति इस भवन में आए, सभी ने वायसराय के आलीशान कमरे की जगह, उसी कमरे में रहना पसंद किया, जहां पहले भारतीय गवर्नर जनरल रहे थे। लिहाजा कुछ समय बाद वायसराय के कमरे को गेस्ट विंग (Guest Wing of the Rashtrapati Bhavan) में तब्दील कर दिया गया। अब इस गेस्ट विंग में अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और उनका प्रतिनिधि मंडल ठहरता है।

7. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने ही राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन को एक माह के लिए खोलने का निर्णय लिया था, ताकि देश की आम जनता इसे देख गौरवान्वित हो सके और इससे जुड़ाव महसूस कर सकें। तभी से फरवरी से मार्च माह के बीच एक महीने के लिए मुगल गार्ड को आम लोगों के लिए खोलने की परंपरा चली आ रही है।

8. भारतीय कम लोग जानते होंगे कि नए बने वायसराय हाउस में आने वाले महात्मा गांधी पहले बड़े भारतीय नेता थे। वायसराय लार्ड इरविन (Lord Irwin) ने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। इस बैठक में विंस्टन चर्चिल (Winston Churchill) ने भारी मतभेदों के बावजूद महात्मा गांधी संग बैठक की। महात्मा गांधी अपने साथ नमक लेकर गए थे। जब उन्हें चाय दी गई तो उन्होंने उसमें नमक डालकर अंग्रेजों द्वारा नमक पर लगाए गए कर (British Salt Tax) का विरोध जताया। इसके बाद भी इरविन और महात्मा गांधी के बीच कई बैठकें हुईं, जिसने 05 मार्च 1931 को गांधी-इरविन समझौते (Gandhi Irwin Pact) का रूप लिया।

9. क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल डोम पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने की शुरूआत वर्ष 1971 में हुई थी। इससे पहले सेंट्रल डोम पर राष्ट्रपति का अपना ध्वज फहराने की परंपरा थी।

10. क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति भवन में प्रत्येक शनिवार को एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की बदली होती है, जिसे ‘दि चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी’ (The Change of Guard Ceremony) कहा जाता है। वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस समारोह को आम जनता के लिए खोला था, जो अब तक जारी है।

11. चौकाने वाली चीज यह है कि राष्ट्रपति भवन का मुख्य गेट कुछ विशेष मौकों पर ही खुलता है। जैसे- जब राष्ट्रपति संसद भवन जाते हैं या गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान जब वह राजपथ पर परेड देखने जाते हैं। इसके अलावा ये गेट राष्ट्राध्यक्षों को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of Honour) के दौरान भी खोला जाता है। इस दौरान राष्ट्रपति के विशेष अंगरक्षक (President’s Bodyguard) उन्हें सलामी देते हैं।

12. यह आप नहीं जानते होंगें कि राष्ट्रपति भवन में सामने की तरफ 20 टस्कन स्टाइल स्तंभ (Tuscan Pillars in Rashtrapati Bhavan) बने हैं, जिसमें ऊपर की तरफ चारों कोनों में मंदिर के घंटे जैसी आकृति बनी हुई है। ये डिजाइन कर्नाटक के मूडबिद्री मंदिर (Moodbidri Temple of Karnataka) से लिया गया है।

13. अब तक स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में राष्ट्रपति भवन में रामपुरा बैल (The Rampurva Bull) की मूर्ति लगाई गई, जिसका वजह पांच टन है। डॉ राजेंद्र प्रसाद और जवाहर लाल नेहरू की पहल पर इसे लंदन से वापस लाया गया था, जहां ये भारतीय कला पर आयोजित एक बड़ी प्रदर्शनी में शामिल होने गई थी। दोनों नेताओं ने तय किया कि इतिहास की ये अमूल्य कलाकृति राष्ट्रीय संग्राहलय (National Museum) में जाने की जगह राष्ट्रपति भवन में ही रहेगी। 13 जनवरी 1952 को नेहरू को इसके लिए एक पत्र भी लिखा था।

14. क्या आपको पता है कि अक्टूबर 2015 में राष्ट्रपति भवन गेट के दोनों तरफ बलुआ पत्थर से बने स्तंभों पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक, सम्राट अशोक के प्रतिष्ठित सारनाथ सिंह (अशोक स्तंभ) को लगाया गया। इससे पहले यहां, ब्रिटेन के शाही मुकुट की आकृति लालटेन के साथ स्थापित थी।

15. क्या आपको पता है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने राष्ट्रपति भवन की शान में कहा था, ‘प्रकृति और मनुष्य, चट्टान और स्थापत्य, ने शायद ही कभी इतने अच्छे उद्देश्य के लिए सहयोग किया हो जितना कि शानदार राष्ट्रपति भवन के निर्माण में किया’ (“Nature and man, rock and architecture, have rarely collaborated to so fine a purpose as in the fashioning of the magnificent Rashtrapati Bhavan”)।

16. क्या आपको पता है कि भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटेन (Lord Mountbatten) ने स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को इसी भवन के सेंट्रल हॉल के नीचे शपथ दिलाई थी। देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी. रामगोपालाचारी ने भी 21 जून 1948 को इसी सेंट्रल डोम के नीचे शपथ ली थी।

17. क्या आपको पता है कि विशालकाय राष्ट्रपति भवन तीन सर्किट में बना है। पहले सर्किट (Circuit 1 of Rashtrapati Bhavan) में मुख्य भवन, सेंट्रल लान, अशोक हॉल, दरबार हॉल, बैंक्वेट हॉल, ड्राइंग रूम्स आदि हैं। दूसरे सर्किट (Circuit 2 of Rashtrapati Bhavan) में राष्ट्रपति भवन का संग्राहलय व कुछ अन्य चीजें हैं। तीसरे सर्किट (Circuit 3 of Rashtrapati Bhavan) में मुगल गार्डन (Mughal Gardens), हर्बल गार्डन (Herbal Garden),  म्यूजिकल गार्डन (Musical Garden) और स्प्रिचुअल गार्डन (Spiritual Garden) आदि है।

18. क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में 104 लोगों के एक साथ बैठने की क्षमता है। इसके लिए बैंक्वेट हॉल में एक लंबी सी टेबल बनी हुई है। इन टेबल के ऊपर (छत पर) खास किस्म की लाइटें लगी हैं, जो मुख्य खानसामे को खाना परोसने के लिए वक्त-वक्त पर अलर्ट करती हैं।

19. क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में दावत के मौके पर शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करने वालों की पहचान के लिए एक नायाब तरीका अपनाया जाता है। शाकाहारी भोजन करने वालों के सामने लाल गुलाब का एक छोटा गुलदस्ता रखा जाता है।

20. क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में देश के कई प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपतियों ने शपथ ली है। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भी शामिल है। अशोक हॉल का इस्तेमाल राष्ट्रपति अपनी आधिकारिक बैठकों के लिए करते हैं।

6 thoughts on “राष्ट्रपति भवन विचित्र तथ्य : वायसराय के आलीशान कमरे में नहीं, गेस्ट हाउस में रहते हैं राष्ट्रपति; जानें- क्यों और कैसे शुरू हुई परंपरा?

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