दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन को देखने के बाद अब यकीन नहीं कर पाओगे कि ऐसे लोग भी होते हैं
दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन लोगों को आप शायद नहीं जानते होंगे तो आज हम बात करते है अघोरी की
अघोरी शिव के अनुयायी होते हैं, जो एक विशेष प्रकार की योगाभ्यास करते हैं, जिसे समाज में खौफनाक माना जाता है। इसमें श्मशान घाट में रहना, मानव खोपड़ी में खाना, लाश पर बैठकर ध्यान करना, कभी-कभी सड़ी हुई लाश, कच्चा मांस खाना ।
यह छवि एक अघोरी को एक लाश पर बैठे और ध्यान लगाते हुए दिखाती है।
अघोरी के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि सफेद पाउडर जो वे अपने शरीर पर उपयोग करते हैं, कभी-कभी यह मानव चिता का राख होता है
अघोरी के पास किस प्रकार की शक्तियाँ होती है , इस बारे में कई किंवदंतियाँ हैं कि वे अपने चक्रों को कैसे अनलॉक करते हैं। जब मैं बच्चा था तो मेरी दादी मुझे शिव के इन भक्तों के बारे में कहानियाँ कहा करती थी और मुझे हमेशा कहा जाता था कि यदि आप कभी इनको देखो (संभावनाएँ कम हैं) तो उनकी आँखों में मत देखना या उन्हें रोकने की कोशिश नहीं करना ।
अघोरी पंथ की उत्पत्ति और इतिहास (HISTORY OF AGHORI)
अघोरी पंथ के प्रणेता भगवान शिव माने जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं अघोरी पंथ को प्रतिपादित किया था। अवधूत भगवान दत्तात्रेय को भी अघोरशास्त्र का गुरु माना जाता है। अवधूत दत्तात्रेय को भगवान शिव का अवतार भी मानते हैं। अघोर संप्रदाय के विश्वासों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीनों के अंश और स्थूल रूप में दत्तात्रेय जी ने अवतार लिया था। अघोरी संप्रदाय के एक संत के रूप में बाबा कीनाराम की पूजा होती है। अघोरी
संप्रदाय के व्यक्ति शिव जी के अनुयायी होते हैं। इनके अनुसार शिव स्वयं में संपूर्ण हैं और जड़, चेतन समस्त रूपों में विद्यमान हैं। इस शरीर और मन को साध कर और जड़-चेतन एवं सभी स्थितियों का अनुभव कर के और इन्हें जान कर मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। तो इस तरीके से चलता आ रहा है इतिहास इन अघोरियों का
वाराणसी या काशी को भारत के सबसे प्रमुख अघोरी स्थान के तौर पर माना जाता हैं। भगवान शिव की स्वयं की नगरी होने के कारण यहां विभिन्न अघोरी साधकों ने तपस्या भी की है। यहां बाबा कीनाराम का स्थल है जिसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ भी माना जाता है। काशी के अतिरिक्त अघोर साधकों के लिए गुजरात के जूनागढ़ का गिरनार पर्वत भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। जूनागढ़ को अवधूत भगवान दत्तात्रेय के तपस्या स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
क्यों अघोरी श्मशान में रहते हैं मुर्दों को कफन पहनते हैं और मुर्दों को ही खाते हैं
ऐसा इसलिए क्योंकि जिनसे बाकी सभी लोग घृणा करते है अघोरी उन्हें अपनाते है।लोग समशान ,लाश ,मुर्दे का मांस व कफ़न आदि से घृणा करते है लेकिन अघोरी इन्हें अपनाते है।अघोरी विद्या व्यक्ति को ऐसा बनाती है जिनमे वे अपने व पराये को भूल कर सब को एक समान मानने लगते है।उनके मन में कोई भेद भाव नही होता और उनके लिए सब एक सामान होते है। इस तरह की सोच रखने वाले अघोरी इन चीजों से कभी भी घृणा नहीं करते और अघोरी हर तरीके का मांस खाते हैं मांस के साथ साधु और रोटी मिले तो रोटी खीर मिले तो खीर और ना मिले तो बकरा या फिर बीमार पशु पक्षी या फिर किसी मनुष्य का शव भी खा लेते हैं
अघोरियों को श्मशान मे इसलिए रहते हैं क्योंकि उनको पता है कि जीवन का एक सत्य आदमी की मृत्यु हुई है और मरने के बाद मृत्यु में और श्मशान घाट आता है और इस जगह अघोरी अपनी ज्ञान की सिद्धि करते हैं जिस कारण वह श्मशान घाट में यह देखने आते हैं कि मरने के बाद आदमी की आत्मा कहां चली जाती है क्या मरने के बाद आत्मा से बात किया सकती है इस तरह की सिद्धि और जानकारी प्राप्त करने के लिए वह इंसान घाट में ही साधना लगाते हैं क्योंकि उनको लोगों के बीच रहना पसंद नहीं है क्योंकि लोगों के बीच रहने में उनको अपनी साधना में विघ्न होता है
बात करे अघोरी की तो अघोरी तरीके का मांस खाते हैं यहां तक कि मानव तक आ जाते हैं मगर अघोरी कभी भी गाय का मीट या मांस नहीं खाते हैं
अघोरी किस तरह की पूजा करते हैं
अगर बात करे अघोरी किस तरह की पूजा करते हैं तो अघोरी श्मशान में ध्यान लगाने के साथ शादी भूत प्रेतों को अपने कंट्रोल में करने और साथ ही उनसे कार्य कराने की या फिर मरने के बाद आदमी के जीवन में क्या घटना घटित होती है इन चीजों की जानकारी के लिए ध्यान लगाते हैं
साथ ही वह अपनी इस पूजा में कभी कभी ऐसे लोगों को शामिल कर लेते हैं जो कि असल में होते ही नहीं है या फिर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके शव वहां पर होते हैं मगर उनकी आत्मा के सामने उनका ध्यान में साथ देती है और इस पूजा में वह प्रसाद के रूप में मदिरा और साथ ही शव का मांस भी होता है
इस तरह की पूजा करने वाले अघोरी बाबा किसी से भी नहीं डरते हैं वैसे तो अघोरी बाबा की बात करें तो इनकी फीस पूछा किसी भी प्रकार की नहीं होती है अगर इनके तन पर कोई कपड़ा मिलता है तो वह सब को ढका हुआ कफ़न होता है और कभी कबार तो गोरी बाबू बिल्कुल वस्त्र हीन यानी की पूरी तरीके से नंगे घूमते हैं उन्हें नहीं फर्क पड़ता है कि उनके बारे में देश-दुनिया या फिर पुरुष नारी यह बच्चे क्या सोचते हैं उनको पता है कि उनका जीवन एक अघोरी के रूप में है तो वह अघोरी ही बन के रहेंगे
वैसे गरम बात करे अघोरी की तो इन्हें काफी ज्यादा ज्ञान होता है यह हर तरीके का ज्ञान तंत्र मंत्र और काफी लोगों को कंट्रोल करने की सिद्धि भी जानते हैं इस तरह से अघोरी बनने के लिए किसी व्यक्ति को काफी मेहनत करनी पड़ सकती है उसे हर तरीके से मोह माया परिवार और बाकी चीजों को त्यागना पड़ेगा उन चीजों को अपनाना पड़ेगा जो कि इस दुनिया की कटु सत्य है
इसी तरह के और इंटरेस्टिंग और मजेदार पोस्ट को पढ़ने के लिए वेबसाइट पर बने बने रहे